शनिवार, 6 दिसंबर 2008

अंतर्यात्रा तो अनंत काल से जारी है और काल के दायरे से परे है । मज़े की बात ये है कि संसार में जो भी कुछ अर्थपूर्ण है , जो भी कीमती है वो सबकुछ वक्त के दायरे से बाहर है । अंतर्यात्रा तो चलती रहेगी लेकिन दिल की बातें बहुत हैं , कहने सुनने को बहुत कुछ है ।

बुधवार, 6 अगस्त 2008

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